Saturday, 25 March 2017

हमारा नव वर्ष

आज हमारा नया वर्ष है - विक्रम संवत 2074। अंग्रेज़ो के नए वर्ष पर तो क्या धूम धाम थी। हफ़्तों पहले ही अग्रिम शुभ कामनाएं आने लगी थीं। आज वो सब नदारद है। कुछ एक नेताओं ने जरूर पोस्टर लगा कर शुभ कामनाएं दी हैं। पर हम में से अधिकतर अपेक्षाकृत शांत हैं। बहुतों को तो इसका पता ही नहीं है। और जिन्हें पता है भी वह भी इस भय से मुबारक़बाद नहीं दे रहे कि सामने वाला ये न पूछ बैठे कि नये वर्ष की बधाई आज ढाई माह बाद दे रहे हो। दुःख तो तब होता है जब माँ बाप बच्चे को जनवरी, फरवरी का तो रट्टा लगवा देते हैं पर चैत्र, वैशाख से उसे परिचित नहीं करवाते। शायद उन्हें स्वयं भी नहीं पता पूरी तरह।

हिंदू पाचांग के अनुसार जो समय की गण्ना की जाती है उसका नाम विक्रम संवत है। इसका प्रारम्भ सम्राट विक्रमादित्य ने ईसा पूर्व 57 से किया था। दूसरे शब्दों में यदि मार्च माह से अंग्रेजी वर्ष में 57 का अंक जोड़ दिया जाय तो विक्रम संवत निकाला जा सकता है। इस में माह का हिसाब सूर्य व चंद्र की गति से रखा जाता है। इसके जो बारह सौर मास हैं वह वास्तव में बारह राशियां हैं । इसमें 27 नक्षत्र बतायें गए हैं। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र विशेष में होता है उसी के आधार पर माह का नामकरण हुआ है। उदहारण के लिए प्रथम माह में पूर्णिमा के दिन चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में होता है अतः इसका नाम चैत्र पड़ा है। इसी प्रकार अंतिम 12 वें मास में पूर्णिमा को चंद्रमा पूर्वाफाल्गुन नक्षत्र में होता है अतः इसे फाल्गुन मास के नाम से जानते है।

इसका एक माह दो पक्षों में विभाजित रहता है - कृष्ण पक्ष , जब चन्द्र कला घटती जाती है और शुक्ल पक्ष , जब चंद्र कला बढ़ती जाती है। कृष्ण पक्ष अमावस्या को समाप्त होता है जबकि शुक्ल पक्ष की समाप्ति पूर्णिमा को होती है। यंही से नया माह भी आरम्भ होता है। गीता में भगवान् कृष्ण ने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में मरने वालों के अलग अलग मार्ग और गतियां बताई है।

चंद्र वर्ष और सौर वर्ष में 11 दिन 3 घड़ी 48 पल का अंतर है। अतः हर तीन वर्ष में चंद्र वर्ष में एक माह जोड़ दिया जाता है जिसे अधिकमाह, मलमाह , पुरुषोत्तम माह इत्यादि नामो से जाना जाता है। इस माह में किये गए दान इत्यादि का पुण्य कई गुना बताया गया है। इस माह में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता क्योंकि इस माह का कोई स्वामी नहीं होता।

तो ये तो थी कुछ जानकारी हमारे नव वर्ष की। आइये इसे मनाए और गौरान्वित महसूस करें। आज से ही नव रात्रों का भी शुभारम्भ हो रहा है। भारतीय नव वर्ष 2074 की और नव रात्रों की सभी मित्रों को बहुत बहुत बधाई और मंगल कामनायें।

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