Sunday, 23 February 2020
बोर्ड के परीक्षार्थियों से।
बोर्ड की परीक्षाएं प्रारंभ हो गई हैं। बच्चों से अधिक उनके माता पिता चिंतित है। बच्चों पर भी ज्यादा से ज्यादा नम्बर लाने का दवाब है। तनाव अपनी चरम सीमा पर है। पर सत्य तो ये है कि नम्बरों से कुछ नहीं होता। होता वो ही है जो होना है।किन्तु इसकाअर्थ ये कदापि नहीं कि सब कुछ भाग्य पर छोड़ कर बैठ जाओ। मूल मंत्र है , "करने में सावधान होने में प्रसन्न"। अपनी तरफ से कोई कसर न छोड़ो। पूरी मेहनत से पूरी लगन से कर्म करो। फिर जो भी परिणाम हो उसे प्रसन्नता से स्वीकारो। क्योंकि परिणाम तुम्हारे हाथ में नहीं है। तुम्हारे हाथ में बस कर्म करना है। और याद रखो परीक्षा के नम्बर तुम्हारे उज्वल भविष्य की गारंटी नहीं हैं। जीवन इन नम्बरों से कहीं बड़ा है। बहुत मूल्यवान है। तुम इस दुनियां में मात्र नम्बर लेने नहीं आये हो। तुम्हारा उद्देश्य इससे कहीं आगे है। जीवन में रोज परीक्षाएं झेलनी हैं। वो परीक्षाएं इससे कहीं ज्यादा कठिन और महत्वपूर्ण हैं। अपना संतुलन बनाये रखो। भरपूर नींद लो। शांत रहो। तुम्हें सब कुछ आता है। बस परीक्षा से पूर्व लगता है कि सब भूल गए। जब प्रश्न पत्र सामने आएगा तो सब याद आ जायेगा। अपना बेस्ट करो। परिणाम की चिंता बिल्कुल न करो। जो होगा तुम्हारे लिए अच्छा ही होगा। जीवन एक गूढ़ पहेली है जिसे वो ही जानता है जिसने इसे दिया है। एक मोड़ पर आ गई रुकावट तुम्हें आगे आने वाले आसन्न खतरे से बचाती है और तुम समझते हो कि ये तुम्हारे रास्ते की बाधा है! तुम एक अलग विशेष रचना हो। तुम औरो जैसे नहीं हो। हो सकते नहीं। उनके जैसा बनने का प्रयत्न छोड़ दो। तुममें जो प्रतिभा है उसे निखारो, सफलता तुम्हारे पीछे आएगी। इन्हीं शुभकामनाओं सहित,
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