Wednesday, 4 January 2017

उल्लुओं की ज़मात

हमारे एक मित्र अभी दुबई होकर लौटे हैं। तथाकथित नव वर्ष मनाने गए थे। कहने लगे कि क्या नाईट लाइफ है वँहा की! वह लोग टेढ़े मेढे आदमियों को पसंद नही करते और खूब एन्जॉय करते हैं। मैंने कहा कि टेढ़े मेढे आदमी कैसे होते हैं। बोले जो कुछ न करे। उनका इशारा मेरी तरफ़ था क्योंकि मैं शराब और मांस से परहेज़ करता हूँ। मैंने कहा कि क्या आपको पता है नाईट लाइफ किसकी होती? नाईट लाइफ उल्लू और चमगादड़ो की होती है। वह ही रात में जागते हैं और दिन में सोते हैं। उस पर वह जो बोले वो महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है तो वह ये कि हम भी  कंही इसी दिशा में तो नहीं जा रहे!

अभी भी गाँवो में लोग जल्दी सो जाते हैं और सूर्योदय से पहले जाग जाते हैं। मेरे एक संबंधी  सुबह चार बजे उठ जाते हैं। मुझे भी लगातार इसी समय उठने को प्रोत्साहित कर रहे हैं। पर अभी तक मुझे सफलता नहीं मिली। इसके लिए 10 बजे तक सो जाना होगा। 6 घँटे की नींद तो चाहिए ही। पर ऐसा हो नहीं पा रहा है।

मैं सोचता हूँ कि दुबई के लोग नाइट लाइफ क्लबो में मनाते हैं तो हमारे जैसे घर पर ही रहकर टीवी या इन्टरनेट में व्यस्त रहकर मनाते हैं। दोनों में अधिक अंतर नही है। तो क्या हम सभी देर रात जागने वाले उल्लुओं की जमात में शामिल हो रहे हैं?

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