आदत बहुत बुरी होती है। और आदत जितनी पुरानी होती जाती है उतनी ही जिद्दी भी हो जाती है। अंग्रेज़ी की एक कहावत भी है कि पुरानी आदतें मुश्किल से छूटती हैं। आदत चाहे अच्छी हो या बुरी जब छोड़नी पड़ती हैं तो बहुत तंग करती है। जब बेटियां विदा हुईं तो वर्षों लगे उनके बिना रहने की आदत डालने में।
पिछले कुछ ही महीनों में तीन पुरानी आदतें फिर से छोड़नी पड़ी है। पिछले तेरह वर्षों से जिसके साथ दोपहर का भोजन करने की आदत थी वो मित्र रिटायर हो गए। जिस अधिकार से वह मेरे भोजन में से हिस्सा बटाते थे और यह कहते नहीं अघाते थे कि भाभी ने मेरे लिए भी तो भेजा है, जब भी खाने बैठता हूँ याद जरूर आता है।
उसके कोई महीने बाद ही पिताज़ी चले गए। हालांकि उनसे मेरा संवाद कम ही होता था पर पिछले 58 वर्षों से उन्हें देखने की जो आदत थी अब छोड़नी पड़ रही है। उनका समान जिसे उन्होंने जीवन भर सहेजा था, उसे मैं इधर-उधर कर के हटा रहा हूँ। उनकी तस्वीर भी अभी उठा कर रख दी है। उन्हें देखने की आदत छोड़ने की कोशिश कर रहा हूँ।
ऑफिस की शाम 5 बजे की चाय पिछले 12 वर्षों से जिस मित्र के साथ पीता था उनका भी पिछले दिनों स्थानांतरण हो गया। हमारा चाय का नियम इतना पक्का था कि 5 बजे के बाद लोग उन्हें मेरे नम्बर पर फ़ोन करते थे। जब से वह गए हैं शाम की चाय पीनी बंद कर दी है। एक और पुरानी आदत छोड़ने की कोशिश कर रहा हूँ।
ये कमबख्त आदतें मगर कँहा छूटती हैं आसानी से।
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