Friday, 10 November 2023

माया और मायापति

आज धनतेरस है। सुबह से मित्रों के संदेश आ रहे है कि धनतेरस पर खूब धन धान्य की प्राप्ति हो। साथ में स्वर्ण मुद्राओं से भरा कलश भी है। मैं अपने सभी मित्रों का धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ कि वो मेरे शुभेच्छु हैं। पर इस दिवस का धन से कोई लेना देना नहीं है। आज के दिन देवताओं के वैध धन्वन्तरी समुद्र मंथन से अमृत कलश लिए प्रकट हुए थे। संयोग मात्र ही है कि उनका नाम में "धन' जुड़ा है। बहुत से लोग आज के दिन कुबेर की भी पूजा इस कामना से करते हैं कि उन्हें धन की प्राप्ति हो। मैं ऐसे बहुत लोगों को जानता हूँ जो दीवाली के दिन नोटों को और सोने चांदी के सिक्कों को पूजते हैं। मेरे विचार से इससे बड़ा आडम्बर नहीं हो सकता कि हम मायापति को छोड़ कर माया की पूजा करें। जैसे पूर्व जन्म के कर्मानुसार बिना चाहे व्यक्ति को दुख-दरिद्रता प्राप्त होती है, ठीक वैसे ही समयनुसार धन-धान्य भी प्राप्त होता है। फिर भगवान को न पूज कर धन को पूजने का औचित्य क्या है? धन संपत्ति को इतना महत्व न दें कि वो भगवान का स्थान ले ले। इस धन त्रियोदशी को देवताओं  के वैध धन्वन्तरी सब को स्वास्थ्य और निरोगता प्रदान करें, आइये इस कामना के साथ ये पर्व मनाएं।

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