Thursday, 3 March 2016

श्रद्धांजलि

मेरे अनुज, परम् मित्र,सुहृदय एवम् शुभ चिंतक प्रिय संजीव की आदरणीय माता जी, जिन्हें हम भाभी कह कर संबोधित करते थे, का आज दोपहर निधन हो गया। भाभी कल से कूल्हे की अस्थि टूट जाने के कारण अस्पताल मेँ भर्ती थी। आज शाम हम उनसे मिलने जाने वाले थे, परन्तु दोपहर में समाचार मिला की अकस्मात ह्रदय गति रुक जाने से भाभी नहीं रहीं।उनका स्वास्थ्य वैसे तो पिछले काफी समय से ठीक नहीं चल रहा था। परन्तु अकस्मात विदा ले लेंगी ऐसा ज्ञात नहीं था। 90 वर्ष से अधिक की अवस्था मेँ भी भाभी सीधी चलती थीं। हम दम्पति पर तो उनका स्नेह कुछ अधिक ही था। हम जब उनके घर जाते थे तो पता चलता था कि वह हमें याद कर रही थीं। पिछली बार जब हमारा जाना हुआ था तो भाभी सो रही थी इसलिए हम उनके आशीर्वाद से वंचित रह गए थे। वह अक्सर कहती थीं कि भगवान् मुझे भूल गया है तभी तो बुला नहीं रहा। पिछले कुछ समय से भाभी स्वयं से उठ बैठ भी नहीं पा रही थीं। न जाने कैसे और क्यों वह उठ के चल दी और गिर पड़ी। जिससे कूल्हे की अस्थि भंग हो गयी। मुझे याद है काफी समय पहले भाभी का हमारे घर आना हुआ था। ढेर सारे सूखे मेवे बच्चों के लिए ले कर आई थीं वह। ऐसा स्नेह था। पिछले दो दशकों मेँ भाभी ने कई झटके झेले जब उनकी आँखों के सामने उनके प्रिय जन  प्रभु के धाम चले गए। फिर भी वह एक जीवट वाली महिला थीं जो पुनः खड़ा होना जानती थीं।प्रभु की परम् भक्त थीं। एकादशी, सोमवती अमावस्या आदि विशेष तिथियां और पर्व उन्हें खूब याद रहते थे। कभी कभी अपने पुराने किस्से सुनाने लगतीं, तो लगता परत दर परत यादों के पन्नें खुलते चले जा रहे हों। आज जब चिता की लपटें भाभी के पार्थिव शरीर को लील रही थीं तो मैं संजीव के पास ही खड़ा था। मात्र अस्थियों का पिंजर ही रह गया था। यूँ तो भाभी ने अपनी आयु जी ली पर हर सदस्य का घर मेँ एक विशेष स्थान होता है। आज से भाभी का कमरा खाली हो गया है। दिल का एक कोना भी खाली सा लग रहा होगा संजीव को।  शिंजा को भी लगेगा मानो सब काम समाप्त हो गए हों। इस खालीपन को भरने मेँ समय लगेगा। प्रभु से प्रार्थना है कि परिवार जनों को इस शोक को सहने की शक्ति दे। और भाभी को अपने चरणों में स्थान प्रदान करे। गीता का एक शलोक उधृत करना चाहूँगा-

श्लोक:
जातस्त हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि॥

भावार्थ:
क्योंकि इस मान्यता के अनुसार जन्मे हुए की मृत्यु निश्चित है और मरे हुए का जन्म निश्चित है। इससे भी इस बिना उपाय वाले विषय में तू शोक करने योग्य नहीं है।

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