कभी कभी बड़े हास्यास्पद किस्से हो जाते हैं। पर मुझे लगता है कि मेरे साथ ये कुछ ज़्यादा ही होते है। ऐसे बहुत से किस्से हैं जिनमें से सब तो इस प्लेटफ़ॉर्म पर साझा भी नहीं किये जा सकते। पर यक़ीन मानिये कि इन सब में मेरा कोई हाथ नहीं होता और न ही जानबूझ कर की गई कोई चेष्टा ही होती है। वो तो ऐसे किस्से अनजाने में बस घट ही जाते हैं। कल कुछ ऐसा ही क़िस्सा फिर हुआ मेरे साथ।
कल मेरे छोटे भाई के यानि चाचा जी के बेटे के यँहा सुन्दरकाण्ड के पाठ का आयोज़न था। जब चाचाजी जीवित थे तो मेरा वँहा अक़्सर आना जाना रहता था। अब पिछले 8 वर्षों से बस ऐसे ही आयोजनों पर जाना हो पाता है। कल भी मैं काफी अंतराल के बाद उनके घर गया। पिछली बार मैं तब गया था जब उन्होंने दूसरी मंजिल का निर्माण कराया था और वह ग्राउंड फ्लोर से फर्स्ट फ्लोर में शिफ़्ट हुए थे। इस अंतराल में भाई ने दूसरी मंजिल का भी निर्माण कर लिया था। मुझे तो यही ज्ञात था कि छत से उतरते ही उनका मकान था।
तो कल हम दोपहर 3 बजे वँहा पँहुचे। लंच का समय तो निकल चुका था पर उनके आग्रह पर हम छत पर गए जँहा हलवाई बैठा था। थोड़ा बहुत खाना खा कर मैं नीचे उतर आया और पत्नी व बहनें ऊपर ही बतियाते रहे। वज़ीराबाद के पुल पर डेढ़ घँटे जाम में फंसा मैं थक गया था और भोजन पेट मे पड़ते ही लेटने की इच्छा बलबती हो उठी थी। मैं एक मंज़िल उतरा और अंदर घर में आ गया। वँहा ड्राइंग रूम में एक महिला और एक लडक़ी बैठी थी जिन्हें मैं ने नहीं पहिचाना। सोचा कोई मिलने वाले आये होंगे। सीधा किचन में गया। जूठे हाथ धोये और बेड रूम में घुस गया। अटैच वॉशरूम का प्रयोग किया। बिस्तर पर मिक्सी पड़ी थी, उसे उठा कर ठिकाने रखा। चादर ठीक करी, तकिया लगाया और लेट गया। लेटे लेटे मैंने देखा कि वह महिला बाहर दरवाज़े पर खड़ी थी।अभी पांच मिनट ही बीते होंगे, कि ऊपर से पत्नी, दोनों बहिनें और भाभी नीचे उतरीं। तो अंदर न आकर एक मंजिल और उतरने लगीं। मुझे लगा, कुछ गड़बड़ है। शायद मैं किसी और के घर में घुस आया हूं। अचकचाकर मैं उठा और सीधा एक मंजिल और उतरा। यँहा सभी जाने पहचाने लोग थे। तो मैं गलती से दूसरी मंज़िल पर रह रहे किरायेदार के घर में घुस गया था। तब मुझे समझ आया कि वो महिला हैरान परेशान सी मुझे क्यों देख रही थी। और गेट पर जाकर क्यों खड़ी हो गईं थी। बाकी सब तो हँस रहे थे और मैं सोच रहा था कि ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है। जरा सोचिए, कोई अज़नबी आपके घर अनाधिकार घुसा चला आये और सीधा बेड रूम में जा सो जाए तो आपको कैसा लगेगा। ग़लती तो थी पर अनजाने में हुई थी। बस कमी यह रही कि मैं चलते समय अपनी इस धृष्टता के लिए उस परिवार से माफ़ी नहीं मांग पाया।
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