सुबह कुछ देर से उठा था। वैसे कोई अधिक देर भी नहीं हुई थी पर हाँ साढ़े छह बजे थे। बाहर आते आते सात बजे गए थे। सूरज काफी चढ़ आया था और अच्छी धूप खिली हुई थी। सोचा अभी समय है, आधा घन्टा घूम लिया जाय। वैसे धूप निकलने के बाद घूमने का मन तो नहीं होता पर सोचा नियम क्यों तोड़ा जाय। तो लगा कॉलोनी की परिक्रमा करने। यूँ तो पीछे कुछ दूरी पर रिज है पर अकेले जाने का मन नहीं होता। कई वर्ष पूर्व जब श्रीवास्तव यँहा थे तो हम दोनों अल्ल सुबह रिज़ पर निकल जाते और खूनी झील के किनारे जा बैठते थे। ये वो झील है जिसे १८५७ के ग़दर में अंग्रेज़ो ने इतनी लाशों से पाट दिया था कि इसका पानी उनके खून से लाल हो गया था। फिर जब उनके जाने के बाद पद्मनाभन यँहा आये तो हम नियम से रिज जाते, घूमते और लौटते समय नारियल पीते और मलाई खाते थे। ये शायद नारियल पानी का ही प्रलोभन था जो मुझे खींच लेता था। रिज़ पर बन्दर बहुत है पर हमें शायद वह अपनी ही प्रजाति का मानते थे और कुछ कहते नहीं थे। हाँ, उनसे नज़रे मिलाओ तो उन्हें ख़तरा महसूस होता था और घुड़की देते थे। पर हम उनसे नज़रे चार क्यों कर करते। वंहा नज़रे चार करने के लिए मानव प्रजाति क्या कम थी। वैसे कंही एक कार्टून देखा था जिसमें एक मार्डन लड़की सुबह की सैर पर थी औऱ कोई पाँच सात अधेड़ पेट निकाले हुए उसके पीछे पीछे सैर का आनन्द ले रहे थे। नीचे लिखा था कि यदि एक सुंदर महिला सुबह की सैर पर जाती है तो दस व्यक्तियों का स्वास्थ्य ठीक रहता है। खैर मज़ाक छोड़िये, मैं बता रहा था कि मैं कॉलोनी की परिक्रमा पर था। कुछ ही परिभ्रमण किये होंगे कि गर्मी सताने लगी। प्यास भी लग आई थी। मैं सोच ही रहा था कि किससे अपना दुःख कहूँ कि सामने वाले मिश्रा जी मिल गए। हाथ में तांबे की प्लेट ले पूजा के लिए फूल लेने आये थे। दुआ सलाम के बाद मैंने अपनी व्यग्रता व्यक्त की, "कितनी गर्मी है!" मिश्रा जी की मुख मुद्रा गंभीर हो गई। बोले ध्यान से सुनो। 21 मई से 28 मई तक Equinox है। एक रोटी कम कर दो और दो गिलास पानी बढ़ा दो। इस काल में शरीर से पानी तेज़ी से वाष्पित होता है। Dehydration हो सकता है। अभी देखो कितनी सुबह है और तुम्हें गर्मी लग रही है। मैंने उनकी बात पूरी तरह समझी तो नहीं पर मैं घूमना बीच में ही छोड़ घर आ गया। पसीना सुखा कर 2 गिलास मटके का शीतल जल लिया और नहाने चला गया। गाड़ी में बैठते ही आदतन मोबाइल देखा तो व्हाट्सएप्प पर वही Equinox का संदेश था। फिर फेस बुक पर भी वही सलाह मिली। पत्नी ने भी सभी रिश्तेदारों को ग्रुप में Equinox का संदेश भेज डाला। संदेश कुछ इस प्रकार था -
Drink more water for the next seven days (May 22-28) due to *EQUINOX*(Astronomical event where the Sun is directly above the Earth's equator). Resultantly, the body gets dehydrated very fast during this period. Please share this news to maximum groups. Thanks.
मैं चकित था और भ्रमित भी कि ये इस वर्ष ऐसा क्या विशेष हुआ है जो हर कोई Equinox की चर्चा कर रहा है। जँहा तक मुझे भूगोल की थोड़ी बहुत जानकारी है ये घटना तो हर वर्ष होती है और वर्ष में दो बार होती है जब सूर्य विषुवत रेखा या भूमध्य रेखा (Equator) के ठीक ऊपर होते हैं और दिन रात समान अवधि के हो जाते हैं। पर ये तो 22 मार्च और 22 सितम्बर के आसपास घटित होता है। ये मई में कैसे आ पड़ा और यदि पड़ भी गया तो एक सप्ताह की अवधि कैसे हो गई। इन सब का मेरे पास कोई उत्तर नहीं था। पर सच तो ये था कि गर्मी पड़ रही थी और मई, जून में गर्मी नहीं पड़ेगी तो कब पड़ेगी। इसका विषुव से सम्बन्ध मेरी समझ से बाहर था। ये सोशल मीडिया जो न करे वह थोड़ा है। मैं अभी भी उतना ही भ्रमित हूं। आप में से किसी के पास जवाब हो तो जरूर दें।
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