Wednesday, 14 December 2016

हाजिर जवाबी

बात पुरानी है। उन दिनों अनुभाग अधिकारी की लिखित परीक्षा पास करने के बाद साक्षात्कार भी होता था। मुझे भी साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। सामने बैठी अधिकारी ने कुछ इधर उधर के प्रश्न किये फिर पूछा कि ट्रैफिक बुक के कितने भाग होते हैं? एक तो मैं वैसे ही नर्वस हो रहा था और उस पर यातायात बही पर सवाल, जिसका मुझे कोई अनुभव नहीं था। ट्रैफिक अकाउंट में मेरा हाथ वैसे ही तंग था। सो मुँह से निकला- तीन भाग होते है। उन्होंने कहा, पक्का है? मैंने कहा, बिलकुल पक्का है। वे बोली, अच्छा नाम बताओ। मैंने बताया, भाग ए, बी और सी। तभी मुझे लगा कि भाग तो चार पढे थे। "डी" भाग भी तो था। तभी उन्होंने टोका,क्या "डी" नहीं होता? अब क्या? सॉरी बोलने में तो तौहीन होती थी।  वास्तव में, भाग "डी" एक जनरल प्रविष्टि होती है जिसकी डेबिट और क्रेडिट की फिगर्स पार्ट "सी" से प्लॉट की जाती हैं। तुरंत दिमाग चला। मैंने कहा कि "डी" तो समरी होती है तीनों भाग की।और समरी भाग तो नहीं हो सकती। उन अधिकारी की समझ नहीं आया कि क्या कहें। बोलीं, तुमने तो कोड ही बदल दिया। और मैं पास हो गया। आज इतने वर्षों बाद ये घटना याद हो आई। साक्षात्कार लेने वाली महिला अधिकारी का नाम अलबत्ता मैं भूल चुका हूं।

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